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इतिहास के झरोंखे से देखें ,विदित होगा सर्व -खाप पंचायतों ने ना सिर्फ अपने अपने इलाकों की आतताइयों से हिफाज़त की है ,अपने सामाजिक सरोकारों को भी तरजीह दी है ।
आज के सन्दर्भ में जो सर्व खाप पंचायतें खेती किसानी की ताकत बन किसानों के हितों की हिफाज़त कर सकतीं है .किसी बेसहारा विधवा को भू -माफिया से बचा सकतीं हैं .पद दलित को सरे आम बेईज्ज़त होने से बचा सकतीं हैं गाहे बगाहे इस या उस प्रांत में कितनी ही औरतों को (ज्यादातर बेसहारा विधवाओं को ,वह किसी ज़ाबाज़ फौजी की माँ भी हो सकती है जो देश की सीमाओं पर तैनात है ) डायन घोषित कर दिया जाता है .एच आई वी एड्स ग्रस्त औरत को तिरिश्क्रित होने से बचा सकतीं है जिसे यह सौगात अमूमन अपने पति परमेश्वर से ही मिलती है ।
लेकिन राजनीति पोषित आज की जातीय पंचायते अंतर जातीय ,सजातीय ,सगोत्रीय ,सग्रामीडएक ही गाँव में विवाह जो अक्सर प्रेम विवाह होतें हैं जैसे मुद्दे पर जडवतहोकर रह गईं हैं ।
यह उनकी समाज प्रदत्त ऊर्जा का अपक्षय नहीं तो और क्या है ।
ताज़ा प्रकरण करनाल की अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश वाणी गोपाल शर्मा द्वारा सुनाये गए बहु चर्चित दोहरे ह्त्या -काण्ड (बबली -मनोज दम्पति )से तालुक रखता है ।
सगोत्रीय विवाह एक सामाजिक दायरे में अमान्य हो सकता है लेकिन किसी भी कंगारू कोर्ट को सगोत्रीय दम्पतियों की सरे आम निर्मम हत्या करने की छूट नहीं दी जा सकती .विरोध के मान्य तरीके हुक्का पानी बंद करना रहे आये हैं .फिर ह्त्या जैसा खुद -मुख्त्यारी का फैसला क्यों ?
सगोत्रीय विवाह आधुनिक भारत की एक हकीकत है इससे कोई इनकार नहीं कर सकेगा भले ऐसे विवाह उत्तम संततियों के उपयुक्त विज्ञान की निगाह में ना हों .लेकिन प्रेम आदमी तौल कर नहीं करता ।"प्रेम ना बाड़ी उपजे ,प्रेम ना हाट बिकाय ....".
सच यह भी है :जान देना किसी पे लाजिम था ,ज़िन्दगी यूँ बसरनहीं होती ।
और जान लेना सरा - सर जुर्म है .अपने खुद के जायों की आदमी जान ले कैसे लेता है ?
मनो विज्ञानी इसके लिए उस प्रवृत्ति को कुसूरवार ठहरातें हैं जिसका बचपन से ही पोषण -पल्लवन किया जाता है सती मंदिरों को इसी केटेगरी में रखा जाए गा ।
विपथगामी वोट केन्द्रित राजनीति सब कुछ लील गई है .पथ-च्युत जातीय पंचायतें उसी सर्वभक्षी राजनीति की उप -शाखा हैं ।
फिलवक्त मनोज -बबली दम्पति की जांबाज़ माँ को सुरक्षा मुहैया करवाने का आदेश कोर्ट को पारित करना चाहिए माननीय मुख्य मंत्री हरियाणा सरकार न्यायाधीशा वाणी गोपाल शर्मा को भी एन एस जी सुरक्षा मुहैया करवाएं
विपथगामी सर्व -खापी पंचायतें कुछ भी करवा सकतीं हैं .यदि चन्द्र -पति की इस दौर में ह्त्या कर दी गई तो सभी औरतों का आइन्दा के लिए हौसला टूट जाएगा .बेहतर हो :दुश्मनी लाख सही ख़त्म ना कीजे रिश्ते ,दिल मिले या ना मिले हाथ मिलाते रहिये .खाप पंचायतें इस मर्म को समझें .अपने सामाजिक सरोकारों की जानिब लोटें ।
खुदा हाफ़िज़ ।
वीरुभाई .
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bahut khub.swagat hai is waicharik samaj men aapka.
ReplyDeleteहिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
ReplyDeleteकृपया अन्य ब्लॉगों को भी पढें और अपनी बहुमूल्य टिप्पणियां देनें का कष्ट करें
kuchh baten aisee hain jinhe kahna hi nahin, balki kahte rahna zaroori hai.aise me aapki prasangikta aur bhi badh jaatee hai.
ReplyDeleteसंजीव जी, आप कम लिखते हैं पर जो लिखते हैं वह अत्यन्त साफगोई से लिखते हैं, आपकी यही बात मुझे आपका प्रशंसक बनाती है.
ReplyDeleteआप सभी का धन्यवाद,
ReplyDeleteमैं इस विषय पर एक वृत्तचित्र (documentry film) बना रहा हूँ, इसी फिल्म के लिए पूरी सामग्री एकत्र कर रहा हूँ...आपके पास भी इसे सम्बंधित कोई भी जानकारी हो तो जरुर साझा कीजियेगा....
इस सुंदर से नए चिट्ठे के साथ आपका हिंदी ब्लॉग जगत में स्वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!
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