आपकी राय

'सम्मान बचाने के लिए' हत्याओं पर आपकी राय

उत्तर भारत में इस आधुनिक युग में भी अपनी मर्ज़ी से शादी करने वाले अनेक युवक और युवतियों को एक विचित्र स्थिति का सामना करना पड़ रहा है.

विशेष तौर पर पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के देहात में यदि इन युवक-युवतियों की शादी उनके गाँव के बुज़ुर्गों या उनकी खाप पंचायत को न भाए तो उन्हें अनेक यातनाएँ सहनी पड़ती हैं.

कई मामलों में खाप पंचायत केवल शादी रद्द करने का ही आदेश नहीं देती बल्कि युवक, युवती या फिर दोनों की हत्या का आदेश तक सुना देती है. ऐसे आदेशों का आधार बनाया जाता है जाति, गोत्र, परिवार या गाँव की ‘इज़ज़त’ को...

खाप पंचायत पारंपरिक पंचायतें होती हैं, जो निर्वाचित ग्राम पंचायत से अलग होती हैं. इनका आधार एक ही जाति या गोत्र होता है. इसके अलावा कई खाप पंचायतें एक या फिर कई गाँवों में बसने वाले सभी लोगों की भी हो सकती हैं.

इस सदी में संविधान और क़ानून की नज़र में वैध लेकिन खाप पंचायत की नज़र में ‘सम्मान के विरुद्ध’ इन मामलों को आप किस तरह देखते हैं. क्या आपके सामने ऐसे कोई मामले आए हैं? क्या ये लोगों के व्यक्तिगत मामलों में हस्तक्षेप है या फिर परंपरा को बचाने का उचित उपाय.....? समाज में इससे पैदा होने वाले तनाव को कैसे घटाया जा सकता है?

(अपनी राय नीचे दिए गए वर्चुअल की-बोर्ड का इस्तेमाल करते हुए भेजें)


प्रकाशित: 8/5/09 5:16 AM GMT

टिप्पणियाँ टिप्पणियों की संख्या:63
समय के हिसाब से पाठकों की पसंद से
सभी टिप्पणियाँ जैसे जैसे वो आती रहती हैं

1 2 3 4 5

Added: 8/12/09 7:08 AM GMT
जब कभी भी ऐसी किसी घटना के बारे में पता चलता है तो हम यह सोचने पर मज़बूर हो जाते हैं कि हम किस समाज में रह रहे हैं. जाति और धर्म ऐसे मानवीय मूल्य होते हैं जिसे कोई भी धर्म नहीं रोक सकता है. ऐसी घटनाएँ मानिसक दिवालिएपन से ज़्यादा कुछ नहीं है. इन कुछ लोगों से ज़्यादा अपराधी हम हैं जो चुपचाप देखते रहते हैं.

tanuj rae-barely
पसंद करने वाले 0 लोग

इस टिप्पणी के बारे में शिकायत दर्ज करें.
Added: 8/12/09 6:32 AM GMT
मैं हरियाणा के बहादुरगढ़ में पैदा हुआ और कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से बीटेक की डिग्री ली. वहाँ मुझे एक लड़की मिली, जो जाट थी. हम छह साल के लिए बाहर गए. हम दोनों की जाति अलग-अलग थी, इसलिए हमें शादी की इज़ाज़त नहीं दी गई. इसके बाद मैं इंग्लैंड आ गया. हम दोनों ने कठिन मेहनत की. भारत में उस लड़की ने एमबीए की डिग्री ली और मैंने यहाँ अपनी मास्टर डिग्री ली. आज हम दोनों अच्छी नौकरियाँ कर रहे हैं. पिछले साल उस लड़की से शादी के लिए मैं भारत गया लेकिन वह जाति व्यवस्था से काफ़ी डरी हुई थी. इसलिए उसने शादी से इनकार कर दिया और कहा कि वह नहीं चाहती कि उसकी वज़ह से उसके माँ-बाप को नीचा देखना पड़े. अब मुझे समझ में नहीं आता है कि क्या कहना चाहिए. इस जातिवाद ने मुझे बहुत दर्द दिया है. मुझे लगता है कि इसमें बदलाव की ज़रूरत है.

Dheeraj Madan London
पसंद करने वाले 0 लोग

इस टिप्पणी के बारे में शिकायत दर्ज करें.
Added: 8/12/09 5:36 AM GMT
यह पाषाण युगीन जंगली संस्कृति का एक हिस्सा है. हरियाणा और उत्तर प्रदेश के एक समुदाय विशेष में ही ऐसी घटनाएँ देखने को मिलती रहती है. ऐसा करके ये लोग अपने आपको गौरवांवित भी महसूस करते हैं. इन लोगों की अपनी हीनभावना ऐसा करने के लिए इनको मज़बूर कर देती है. ऐसा करके ये लोग समाज में यह जाताना चाहते हैं कि हम लोग वास्तव में इतने श्रेष्ठ हैं कि अपने बच्चों को भी मार डालेंगे किंतु अपनी गुणवत्ता को बनाए रखेंगे. यह फ़ैसला लेने वाले लोग अनपढ़ गँवार लोग होते हैं.

देवव्रत चौहान
New Delhi

पसंद करने वाले 0 लोग

इस टिप्पणी के बारे में शिकायत दर्ज करें.
Added: 8/12/09 5:15 AM GMT
उत्तर भारत दक्षिण भारत से बहुत पिछड़ा हुआ है क्योंकि यहाँ की परंपराएँ काफ़ी पुरानी हैं. लोग इसी कारण से हिंदू धर्म छोड़ भी रहे हैं.

manoj singh saudi arabiya
पसंद करने वाले 0 लोग

इस टिप्पणी के बारे में शिकायत दर्ज करें.
Added: 8/11/09 6:20 PM GMT
मुझे लगता है कि यह पूरी तरह ग़लत है. वेदों के मुताबिक़ जब आप किसी बच्चे को जन्म देते हैं तो आप केवल 14 वर्ष तक उसके पालन-पोषण के लिए ज़िम्मेदार होते हैं. मैं जाति और धर्म के नाम पर हो रही हत्याओं में किसी तरह का सम्मान नहीं देखता हूँ.

Suvrat Pidara Kansas City
पसंद करने वाले 0 लोग

इस टिप्पणी के बारे में शिकायत दर्ज करें.
Added: 8/11/09 5:07 PM GMT
ये सिर्फ़ नए और पुराने ख़यालात वाले लोगों के बीच की जंग है. प्यार किसी धर्म, जाति, समाज में बंधा नहीं होता है. क्या किसी को जन्म लेने से पहले पता होता है मैं कौन सी जाति या समाज या घर में जन्म लूँगा. हम सभी लोगों को उस भगवान ने बनाया है. ये जाति धर्म तो इंसान के बनाए हुए हैं. मैं व्यक्तिगत रूप से ख़िलाफ़ हूँ, उस मजहब जाति के जो प्यार करने वालों को विवाह का पवित्र रिश्ता बनाने से रोकता है.

SANDEEP RANA KAITHAL (HARYANA) INDIA
पसंद करने वाले 0 लोग

इस टिप्पणी के बारे में शिकायत दर्ज करें.
Added: 8/11/09 8:50 AM GMT
यहाँ मामला सिर्फ जाति का ही नहीं है, सामाजिक हैसियत भी एक मुद्दा है और भारत में सबसे अहम है स्त्री को लेकर विकसित सामाजिक मानसिकता का। यहाँ स्त्री हमेशा से सम्मान की 'वस्तु' होती है। परिवार की नाक का प्रतीक जो खुद कुछ नहीं होती है, लेकिन परिवार की इज्जत को उसी के कंधों का सहारा होता है। यदि वह कंधा ही सरक गया तो फिर परिवार की इज्जत कहाँ जाकर टिकेगी?

डॉ. अमिता नीरव इंदौर
पसंद करने वाले 0 लोग

इस टिप्पणी के बारे में शिकायत दर्ज करें.
Added: 8/11/09 8:42 AM GMT
पोथी पढ़-पढ़ जग मुआ, पंडित भया न कोय, ढाई आखर प्रेम का पढ़े सो पंडित होय.

arvind malguri delhi
पसंद करने वाले 0 लोग

इस टिप्पणी के बारे में शिकायत दर्ज करें.
Added: 8/11/09 7:44 AM GMT
यह सही नहीं है. अगर हर कोई अपने विचार से क़ानून बनाए तो क़ानून का क्या मतलब है.सरकार को इसे सख़्ती से रोकना चाहिए. मैं खाप पंचायत की विरोध करता हूँ.

Nawaz Tanda Ambedkernagar
पसंद करने वाले 0 लोग

इस टिप्पणी के बारे में शिकायत दर्ज करें.
Added: 8/11/09 12:33 AM GMT
यह लड़ाई है नए-पुराने रीति-रिवाजों की, जो शाश्वत है. समाज में नैतिक मूल्य बदलते रहते हैं. जब हम इस तरह की घटनाओं के बारे में सुनते हैं तो दिल खौल जाता है और हम क्रोध में आ जाते हैं या आधुनिक होने का दम्भ भरने के लिए परम्पराओं पर बरस पड़ते हैं. हम भूल जाते हैं कि आज के समाज में जो अस्तित्व संविधान का है, वही परम्परा का भी है. दोनों का उद्देश्य एक ही होता है- समाज में व्यवस्था बनाए रखना. यदि परम्परानुसार एक गोत्र के आदमी भाई-बहिन समझे जाते हैं, तो उनकी शादी को आज का कानून भी इजाज़त नहीं देता है.

संजय मोण्ट्रियाल, कनाडा
पसंद करने वाले 0 लोग

इस टिप्पणी के बारे में शिकायत दर्ज करें.
Added: 8/10/09 10:31 AM GMT
यह जातिप्रथा और लोगों के बीच भेदभाव को बढ़ावा देने वाली बात है. इसपर तत्काल रोक लगाई जानी चाहिए.ऐसा लगता है कि वहाँ क़ानून व्य़वस्था नाम की कोई चीज नहीं है. वहाँ युवाओं के लिए कोई अधिकार नहीं है. यह पूरी तरह से मानवाधिकारों और संवैधानिक अधिकारों का हनन है. सरकार को लोगों को इसके प्रति जागरूक करना चाहिए. सरकार लोगों को उनके संवैधानिक अधिकार और अन्य सूचनाओं की जानकारी देने के लिए एक पाक्षिक पत्र भी शुरू कर सकती है.

Prem Kumar Hawal Mandi
पसंद करने वाले 0 लोग

इस टिप्पणी के बारे में शिकायत दर्ज करें.
Added: 8/10/09 10:27 AM GMT
जाति प्रथा का दंश और हमारा सामाजिक ताना-बाना दोनों का तालमेल ही असमय हत्याओं को जन्म दे रहा है. हिंदुस्तान का इतिहास गवाह है कि जब भी किसी ने इस सामाजिक कुरुपता को जड़ से ख़त्म करने की कोशिश की उसे ही मौत के नीद सुला दिया गया. यही कारण है कि आज तक यह रोग हमारी जड़ों को खोखला किए जा रहा है. अगर हम इस हत्यारी सोच और कलंक को अपने समाज से जड़-मूल से मिटाना चाहते हैं तो इसके विरुद्ध एकजुट होकर क्रांति का बिगुल फूंकना होगा.

AFAQ AHMAD Aligarh
पसंद करने वाले 0 लोग

इस टिप्पणी के बारे में शिकायत दर्ज करें.
Added: 8/10/09 8:48 AM GMT
एक ही गोत्र मै शादी ग़लत है क्योंकि सिर्फ मानने के लिए ही नहीं विज्ञान की दृष्टि से भी वो भाई बहन हैं लकिन अगर एक या दो ऐसे कोई शादी करता है तो उसे मारना भी ग़लत है. मीडिया को भी ऐसे मामलो मै दूर रहना चाहिए और जवान लोगों को प्यार के नाम पर गुमराह नहीं करना चाहिए.

Nitin Tyagi pune
पसंद करने वाले 0 लोग

इस टिप्पणी के बारे में शिकायत दर्ज करें.
Added: 8/10/09 8:24 AM GMT
इस समस्या को ठीक से समझना होगा. मैं हरियाणा का रहने वाला हूँ. मुझे यह पता है कि हमारे राज्य के लोग बाकी सभी राज्यों की तुलना में उदारवादी हैं और वे काफ़ी प्रगतिशील सोच रखते हैं. इसलिए कुछ अपवादों को छोड़कर हरियाणा विकसित है. गाँवों में रहने वाले लोग एक सामाजिक रीति-रिवाज का पालन करते हैं. कोई भी देश और समाज तब-तक विकसित नहीं होगा जब तक वहाँ नियम और अनुशासन नहीं होगा. हम जिस समाज में रहते हैं तो हम क्यों उसके नियमों की अनदेखी करते है.

Sanjay Kumar Bangkok
पसंद करने वाले 0 लोग

इस टिप्पणी के बारे में शिकायत दर्ज करें.
Added: 8/9/09 2:55 PM GMT
आजकल के युवाओं को पता नहीं क्या समझ में आता है. गाँव ही हैं जो आजकल परंपरा निभा रहे हैं. सुख-दुख में पूछते हैं. गाँव में एक ही गोत्र के लड़के-लड़कियों को भाई-बहन समझा जाता है. इसी तरह एक ही गोत्र के युवक-युवतियाँ शादी करते रहे तो समाज कहाँ बचेगा. यह बात नवयुवकों को समझनी चाहिए और माँ-बाप को भी अपने जवान लड़के-लड़कियों को समझानी चाहिए. हत्या करने से कुछ नहीं होगा.

Karambir BHIWANI