विजय कुलश्रेष्ठ
सूचना क्रांति के इस युग में वेब पत्रकारिता का नवीनतम अध्याय खुल गया है और समाचार प्रसारण की तीव्रता तीन सौ प्रतिशत तक बढ़ गई है। वेब पोर्टल के लिए मुद्रित माध्यम (समाचार पत्र) से कहीं अधिक तत्परता, चपलता और सजगता की आवश्यकता होती है। आज मुद्रित माध्यम की पत्रकारिता ने अपनी-अपनी वेबसाइट इसीलिए प्रारंभ की है कि प्रतिस्पर्धा की दौड़ में पीछे न रह जाएं। वेब पत्रकारिता के क्षेत्र में पोर्टल सेवा ने ऐसा राजस्व तैयार किया है जो बहुत ही सजगता, सक्रियता और तत्पतरा से समाचारों का अद्यतनीकरण करके अपने दश्रोपा (दर्शक-श्रोता-पाठक) को अपनी तीव्रगामी समाचार सेवाएं उपलब्ध कराता है।
वेब पोर्टल की तैयारी में प्राय: निम्नांकित बातों का ध्यान रखना होता है :-
1. दश्रोपा से क्या अपेक्षा है?
2. दश्रोपा की रुचि का पोर्टल में स्थान रखना है?
3. क्या मुख्य वेब पेज पर 'टिफ' और जीपीजी फाइलें या इमेज का प्रयोग किया जाए?
4. क्या इसके लिए प्रोफेशनल लेखकों की सेवाएं ली जाएं?
उक्त चार प्रश्नों का उत्तर पोर्टल निर्माता को पोर्टल की विषयवस्तु प्रबंधन (कंटेंट मैनेजमेंट) की व्यवस्था में देना होता है कि -
अ. स्तरीय विषयवस्तु क्या है और उसका कितना विस्तार है।
आ. समाचारों का निरंतर अद्यतनीकरण।
इ. दश्रोपा की अपेक्षाओं के प्रति दायित्व-बोध।
ई. ऑन लाइन सेवाओं का विस्तार।
उ. संचार माध्यमों का समन्वयन।
ऊ. पोर्टल की पृष्ठ साा।
उक्त बिंदुओं पर विचार करते हुए पोर्टल प्रबंधक एवं संपादक का दायित्व बढ़ जाता है और तीव्रगति बनाए रखकर समाचार के छ:ककारों के चिंतन को विजुअल्स के साथ अन्य स्पर्धी पोर्टल के साथ प्रबंधकीय क्षमता के साथ दश्रोपा को उपलब्ध कराना होता है। नेट पर समाचारों का तीव्रतम प्रवाह ही वेब पत्रकार की तथा वेब पोर्टल के संपादन की कसौटी है क्योंकि समाचारों का जिस गति से अद्यतनीकरण किया जाएगा, वहीं साइट सर्वाधिक महत्वपूर्ण मानी जाएगी। ब्लाग आज आन लाइन पत्रिका की तरह ही है। ब्लाक लेखन प्राय: दो प्रकार का होता है। ब्लाग लेखन सजग प्रहरी का काम भी करता है। यद्यपि समाचार लेखन की प्रणाली अभी भी मुद्रित माध्यम के लिए जो प्रयोग में आती थी, वही है, इतना अंतर अवश्य आया है कि पहले संवाददाता द्वारा समाचार किसी भी साधन का प्रयोग कर समाचार कक्ष या समाचार डेस्क तक पहुंचा दिए जाते थे। अंतिम रूप से समाचार का पुनर्लेखन रीराइटमैन से कराया जाता था। अब यही काम कंप्यूटर से होता है। क्षेत्र से समाचार चयन कर संवाददाता अपने कंप्यूटर पर छोड़ देता है और मॉडम सिस्टम या ई-मेल द्वारा वह समाचार मुख्यालय में प्राप्त कर लिया जाता है तथा आवश्यकतानुसार तथा उपलब्ध स्थान के आधार पर उसका पुनर्लेखन कर लिया जाता है।
वर्तमान समय में हिंदी एवं अन्य क्षेत्रीय समाचार पत्रों के ऑनलाइन संस्करणों में जो समाचार दिए जाते हैं, उसमें से लगभग 85 प्रतिशत समाचार मुद्रित माध्यम से गृहीत होते हैं क्योंकि समाचार पत्र के लिए जो समाचार बनता है, लगभग वही ऑनलाइन कर दिया जाता है। यद्यपि यह व्यवस्था उपयुक्त नहीं है। पर हमारे देश में सभी कुछ आराम से बिना किसी स्पर्धा के चलता रहा है। यह भी संभव है कि पोर्टल पर जो समाचार कल अद्यतनीकृत किया गया था, उसे आज छुआ ही नहीं गया हो और कल तक वह साइट पर बना रह सकता है।
वेब पत्रकारिता में जो समाचार एक बार डेस्क से आगे बढ़ा दिया जाता है, उस एक निश्चित समय के बाद रिचैक किया जाता है। शीर्षक या कैपशन बदला जाता है। समाचार का पुन: संपादन भी होता है। लेकिन उससे पहले समाचार लेखन भी तो अनिवार्य प्रक्रिया का अंग है। इसलिए जब एक साइट मूल रूप से अनिवार्यत: रूटीन समाचारों और फीचर से बनाई जाती है उसके लिए कुछ अनिवार्यताओं का निर्धारण भी होता है। वर्तमान सूचना क्रांति के इस युग में मोबाइल पर एसएमएस भेजकर और पढ़कर ही समाचार प्राप्त कर लिए जाते हैं तो पारंपरिक पत्रों और उससे संबंधित प्रक्रियाओं से गुजरने की आवश्यकता ही अनुभव नहीं की जाती है।
स्वतंत्र वेबसाइट पर जाने वाले रूटीन समाचारों में समाचार और फीचर परक तत्वों वाले समाचारों की अधिकता होती है। किसी समाचार को अधिक रोचक रूप से वेब साइट पर ले जाने के लिए उसे 'स्टोरी' के रूप में ही ग्रहण किया जाता है और उसको उसी रूप में तैयार किया जाता है। कथा या स्टोरी निर्माण की प्रक्रियाओं से गुजरते हुए वेब पत्रकार को निम्ांकित रेखांकन पर ध्यान देना अनिवार्य होता है।
समाचार कथा का निर्धारण हो जाने पर उसे विशिष्टता प्रदान करने के लिए लीक से हटकर रोचक, कौतूहलपूर्ण, उत्सुकता विस्तारक और आश्चर्ययुक्त बनाना अनिवार्य हो जाता है। इसी दृष्टि से रिपोर्टर और संपादक की भूमिका क्रमश: महत्वपूर्ण हो जाती है। रिपोर्टर या संवाददाता का यह कर्तव्य होता है कि वह अपने संपादक के पास विचारपूर्ण, सारगर्भित, उद्देश्यपूर्ण एवं विस्तृत समाचार कथा का प्रस्ताव भेजे पर वह कभी भ्रम न पाले कि उसकी समाचार कथा आंख बंद करके संपादक स्वीकार कर ही लेगा। यद्यपि उस समाचार कथा का आइडिया उसी का हो और उसे विकसित करने का परामर्श भी उसी का हो सकता है।
वेब रिपोर्टर के लिए कुछ महत्वपूर्ण बातें हैं :-
1. संपादक के समक्ष लिखित प्रस्ताव दिया जाए।
2. प्रस्तुति प्रासंगिक एवं समयानुकूल कथा युक्त हो।
3. अपनी कथा की उपयोगिता सिध्द करा सके।
4. कथा का आइडिया या विचार या थीम संपादक को प्रस्तुत कर कवरेज का विचार एवं बिंदु स्पष्ट किया जाए।
5. दश्रोपा के लिए वैसी कथा का महत्व क्या है?
6. प्रतिस्पर्धी साइट्स की तुलना में अपना कथा की महत्ता विशेष का केन्द्रीकरण किया जाए।
7. महत्व का मुद्दा- राष्ट्रीय, क्षेत्रीय, प्रांतीय या स्थायी स्पष्ट किया जाए।
8. बीती घटना की सार्थकता नहीं होती, फीचर की सार्थकता बनी रहती है।
9. कथा से संबंधित छायाचित्र, ग्राफिक्स, फिल्म स्ट्रिप्स आदि का संकेत भी पहले ही दिया जाए।
10. कथा प्रस्तुति समयबध्द (टाइम बाउण्ड) एवं उचित व गहन शोध से उद्भुत होना चाहिए।
समाचार का शीर्षक:
वेब पत्रकार द्वारा यह अनिवार्य नहीं है कि वह शीर्षक लगाए ही। इसमें संदेह भी नहीं है कि समाचार या समाचार कथा में शीर्षक का स्थान विशेष होता है। वेबसाइट पर समाचार का शीर्षक मुद्रित माध्यम के अनुरूप नहीं होता। उसे समाचार कथा विशेष के अनुरूप विशेष दशा, समय, विस्तार और व्याख्यापरक होना चाहिए। कभी-कभी उपशीर्षक देना भी अनिवार्य हो जाता है। व्यावहारिक रूप में वेब पत्रकार के लिए समाचार का शीर्षक, उप-शीर्षक, समाचार शिल्प कौशल का परिचायक होता है। वेब पत्रकार को यह ध्यान रख्ना भी बहुत आवश्यक है-
1. शीर्षक तात्कालिक हो- प्रतिभा पाटिल
का इस्तीफा।
2. कथा के मूल तथ्यों से युक्त शीर्षक।
3. सरल भाषा में निर्मित शीर्षक।
4. आमंत्रक एवं आकर्षक।
5. कथा आदि एवं अंत का परिचायक।
6. कथा की भावनाओं का प्रत्यक्षीकरण।
7. शैली वार्तालाप की हो।
8. अलंकारिक शैली से युक्त हो।
इसका कारण स्पष्टत: यह है कि पोर्टल पर समाचार निरंतर अद्यतन होता रहे। इससे नेट पर कोई भी समाचार साइट में इंटर टैक्स्ट और हाईपर टैक्स्ट पैदा होती रहती है।
वास्तव में हिंदी में वेब पोर्टल पर काम हाल की देन है। आन लाइन समाचार के रूप में पोर्टल दो प्रकार से कार्यरत रहे हैं- एक वे हैं जो किसी न किसी समाचार पत्र समूह या पत्रिका संस्थान से संबंधित हैं या उनके द्वारा स्वतंत्र रूप से संचालित हैं। ऐसे पोर्टल प्राय: अपनी अधिसंख्या विषय सामग्री अपने ही समाचार पत्र से ही लेते हैं और जो शेष सामग्री है, उसके लिए लेखन, संकलन एवं संपादन का दायित्व स्वयं उठाते हैं। यद्यपि जो सामग्री अपने ही पत्र से उठाते हैं, उसकी प्रस्तुति में भिन्नता होती है। उसके बिना वे ज्यों का त्यों पोर्टल पर नहीं ले सकते। दोनों की प्रविष्टियां भिन्न हैं। अत: पोर्टल के लिए संपादन की आवश्यकता हो जाती है।
वेब पोर्टल के क्षेत्र में ऐसे पोर्टल हैं जो किसी पत्र समूह के सहकारी न होकर स्वतंत्र रूप से कार्य करते हैं। ऐसे पोर्टल अपनी सामग्री स्वयं ही तैयार करते हैं जिसमें समाचार संकलन, समाचार लेखन और अपने पोर्टल के अनुरूप संपादन कार्य स्वयं करते हैं। लेकिन यह भी संभव है कि वे अपनी सामग्री इसी क्षेत्र में कार्यरत किसी अन्य पोर्टल से प्राप्त कर लें। स्वतंत्र रूप से कार्य करते हुए उन्हें कुछ अधिक श्रम करना होता है अन्यथा दूसरे पोर्टल से वे सामग्री क्रय भी कर लेते हैं। हिंदी क्षेत्र में ऐसे पोर्टल्स कार्यरत हैं- हिंदी डॉट काम, सिफी डॉट काम (सत्यम), रीडिफ डॉट काम, हिंदी डॉट काम (रीडिफ) हैं। इंडिया डॉट काम (इंडिया), नेट जाल डॉट काम भी हैं। ये पोर्टल्स केवल नेट के लिए तैयार किए जाते हैं तथा उनके मुद्रित संस्करण या दैनिक समाचार पत्र नहीं होते। नेट जाल डॉट काम भारत का बहुआयामी पोर्टल है जो लेखकों और पत्रकारों द्वारा स्थापित किया गया है।
वेब पेज निर्माण या प्रस्तुति में प्रविधिमूलक व्यवस्थाओं का ध्यान रखना होता है। वैसे सारी जानकारियां ध्दह्लह्लश्च द्वारा उपलब्ध कराई जाती है। वेब पेज का निर्माण ॥ञ्जरूरु की सहायता से किया जाता है। इसका प्रयोग करके एक दस्तावेज लेखक, दस्तावेज के विविध उपविभाजनों को विशिष्ट रूप से कूटबध्द कर सकता है। इस विशिष्टीकृत कूटबध्द उप विभाजनों को 'हाइपर टैक्स्ट' के नाम से जाना जाता है। यह कूटीकरण पृष्ठ विविध प्रकार की जानकारियों से युक्त होता है। वेब पत्रकार के लिए यह बहुत ही दायित्वपूर्ण होता है कि कोई भी सूचना या समाचार छूटे नहीं। इसके साथ ही इस बात का ध्यान रखना भी आवश्यक होता है कि कोई बेकार की सामग्री साइट पर नहीं जानी चाहिए। समाचारों के निरंतर और तीव्र प्रवाह में समाचारों की महत्ता पहचान कर अपने पेज के लिए 'सेव' करना और उसे आवश्यकता के अनुरूप कहां प्रस्तुत करना है, इसमें ही उसका कौशल प्रदर्शित होता है।
भविष्य के संबंध में यह कहा जा सकता है कि प्रत्येक वेब पत्रकार अपने साथ एक न्यूज साइट लेकर चल रहा होगा और बिना समय गंवाए किसी भी घटना को 'अपडेट' करने की तात्कालिक क्षमता रख सकेगा। वेब पर साहित्यिक पत्रिका के कंटेंट संपादक राजेश रंजन का यह कहना बहुत सार्थक है कि - ''नई तकनीक में हो रहे बदलाव से सूचना को प्रकाश से भी तेजगति दी है।''
वेब पत्रकारिता के क्षेत्र में उन न्यूज साइट्स की लोकप्रियता में वृध्दि की संभावनाएं हैं जो किसी भी राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय महत्व के समाचार दश्रोपा के समक्ष रखता है। इसमें संदेह नहीं है कि प्रारंभ में कई समाचार पत्रों ने अपनी साइट्स से आरंभ कर दी थी, पर उनमें दैनिक पत्रों से हटकर कुछ विशिष्ट नहीं हो पाया था। पर जैसे ही पारंपरिक समाचार पत्र से हटकर नई वेबसाइट की अपेक्षाएं और व्यवहार की जानकारी बढ़ी, वैसे ही वेबसाइट्स पारंपरिक समाचार पत्रों से भिन्न होती गईं।
वेब पत्रकारिता का 'होमपेज' वास्तव में पारंपरिक समाचार पत्र के प्रथम पृष्ठ जैसा ही है। रूप एवं पृष्ठ साा के रूप में इसके मुखपृष्ठ के दोनों ओर के हाशियों में ढेर सारे प्रवेश बिंदु होते हैं जो 'हाइपर लिंक' की सहायता से संपादकीय, अग्रलेख, सिनेमा, व्यापार, साहित्य या राशिफल जैसी पाठय सामग्री तक विशिष्ट दश्रोपा को पहुंचाता है। यही कारण है कि मुख पृष्ठ को छोड़कर वेब समाचार पत्रिका के अन्य पृष्ठ पारंपरिक समाचार से नितांत भिन्न होते हैं। वेब समाचार पत्र की संरचना पारंपरिक समाचार पत्र के पृष्ठों के समान नहीं होती। यदि संपादकीय पृष्ठ की चर्चा करें तो वेब पेज पर केवल संपादकीय ही मिलेगा। पारंपरिक संपादकीय पृष्ठ के अन्य कॉलमों के लिए वेब समाचार पत्र में एक नया पृष्ठ ही खोलना होता है। दूसरे शब्दों में मुद्रित पृष्ठ के स्थायी स्तंभों के लिए वेब पत्र में नया पृष्ठ ही देना होगा या खोलना होगा।
दश्रोपा अपने वेब समाचार पत्र को जब भी देखना चाहता है तो उसे वांछित वेबसाइट खोलनी होती है और सर्च करना होता है। अपनी रुचि का पृष्ठ खोलने के लिए भी माउस क्लिक करना होता है। इस संदर्भ में यह कहना भी उचित प्रतीत होता है कि जितना आवश्यक समाचारों का अद्यतनीकरण है उतना ही आवश्यक वेब पेज की पृष्ठ साा या डिजाइन है। बहुत से वेब समाचार पत्रों ने अपनी प्रस्तुति आकर्षक बनाने के लिए अपनी साइट्स को 'नया लुक' देने का प्रयास करते हैं। वेब पेज डिजाइनिंग के संबंध में इतना ही कहा जा सकता है कि डिजाइन ऐसा चयन या निर्मित किया जाना चाहिए जो दश्रोपा को देखने में अच्छा लगे और शीघ्र खुल भी सके। कई वेब समाचार पत्र अपने पृष्ठों की पृष्ठ साा के रूप में उकेर कर दश्रोपा में आकर्षण प्रस्तुत करते हैं। वेब पत्रकारिता, वेब समाचार लेखन, संकलन, संपादन के साथ उसकी प्रस्तुति में ही तो वैज्ञानिकता है। यह भी सही है कि आज नई-नई साइट्स वेब समाचार पत्रों के विकास के लिए कार्यशील बनी हैं तो भविष्य की संभावनाओं से इंकार नहीं किया जा सकता।
आपके ब्लॉग की चर्चा यहाँ की है, कृप्या देखेँ .
ReplyDeletehttp://www.vicharmimansa.com/?p=2471
Nice
ReplyDeleteMost likely
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